Saturday, Oct 12, 2024 | Last Update : 05:50 AM IST
पंजाब की लेखिका अमृता प्रीतम की आज १००वीं जन्मतिथि हैं। अमृता का जन्म ३१ अगस्त १९१९ को पंजाब के गुजरांवाला में हुआ था। यह अब पाकिस्तान का हिस्सा है। अमृता प्रीतम ने कई कविताएं लिखी जो अभी भी लोगों के दिल में जगह बनाई हुई है।
उनकी कविता 'मैं तेनू फिर मिलाएंगी' सबसे ज्यादा फेमस हुई थी। अमृता ने कम उम्र से ही लिखना शुरू कर दिया था। मात्र १६ साल की उम्र में उनके साहित्य का पहला संकलन प्रकाशित हुआ था। उनकी कविताएं अखबरों में छपा करती थीं।
अमृता प्रीतम ने कुल मिलाकर लगभग १०० पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें उनकी चर्चित आत्मकथा 'रसीदी टिकट' भी शामिल है। अमृता प्रीतम उन साहित्यकारों में थीं, जिनकी कृतियों का अनेक भाषाओं में अनुवाद हुआ। अमृता प्रीतम पहले पंजाबी में लिखा करती थी हालांकि बाद में उन्होंने हिंदी में भी लिखना शुरु कर दिया। १९४७ में हुए भारत और पाकिस्तान बटवारे के बीच अमृता ने औरतों की त्रासदी और हालात पर कई उपन्यास लिखे जिसे लोगों ने काफी पसंद भी किया है। वो बहुत मशहूर भी हुए।
वहीं अमृता ने पिंजर नाम का मशहूर उपन्यास लिखा था जिसमें बंटवारे के बाद पाकिस्तान में फंसी रह गई लड़की पूरो की कहानी थी। इसी विषय पर डॉक्टर चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने हिंदी फिल्म फिल्म पिंजर बनाई जो सुपरहिट रही।इस फिल्म में उर्मिला मातोंडकर ने पूरो का किरदार निभाया था और उनके साथ थे मनोज वाजपेयी।
अमृता को कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया, जिनमें प्रमुख हैं १९५६ में साहित्य अकादमी पुरस्कार, १९५८ में पंजाब सरकार के भाषा विभाग द्वारा पुरस्कार, १९८८में बल्गारिया वैरोव पुरस्कार (अंतरराष्ट्रीय) और १९८२ में भारत के सर्वोच्च साहित्यिक पुरस्कार ज्ञानपीठ पुरस्कार। वे पहली महिला थीं जिन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। साथ ही साथ वे पहली पंजाबी महिला थीं जिन्हें १९६९ में पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया। १९८६ में उन्हें राज्यसभा के लिए नामित भी किया गया था। २१ अक्टूबर २००५ को उनका निधन हो गया था।
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