कारगिल विजय दिवस: जब भारतीय सेना के आगे पाकिस्तान ने टेके थे घुटने

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कारगिल विजय दिवस: जब भारतीय सेना के आगे पाकिस्तान ने टेके थे घुटने

इस साल कारगिल विजय दिवस को २० साल पूरे हो गए हैं। १९९९ में भारत और पाकिस्तान (India Pakistan) के बीच ६० दिनों तक चलने वाले कारगिल युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को मोह तोड जवाब देते हुए वीरता की नई मिसाल कायम कर फतेह हासिल की थी।
Jul 26, 2019, 12:09 pm ISTShould KnowAazad Staff
Kargil Vijay Diwas
  Kargil Vijay Diwas

करगिल युद्ध, जिसे ऑपरेशन विजय के नाम से भी जाना जाता है, भारत और पाकिस्तान के बीच मई और जुलाई १९९९ के बीच कश्मीर के करगिल जिले में हुए सशस्त्र संघर्ष का नाम है । कारगिल विजय दिवस (Kargil Vijay Diwas) पूरे देश में आज (२६  जुलाई) मनाया जा रहा है।  ये वो दिन था जब पाकिस्तान ने भारतीय सेना के आगे अपने घुटने टेक दिए थे। सीमा पर हमले की शुरुआत करने वाले पाक के पास भारत के सामने झुकने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था। भारतीय जवानों के साहस, वीरता और जज़बे के सामने पड़ोसी मुल्क की सेना हार मान चुकी थी। करीब ६० दिनों तक चलने वाले इस युद्ध में जीत मिलने के साथ ही दुनिया को भारत की ताकत का सबूत भी देखने को मिला।

पाकिस्तानी सेना द्वार एलओसी को पार कर घुस आने का पता भारत को तब चला था जब सीमा के पास एक चरवाहे को उनके बंकर नजर आए थे। चरवाहे ने सेना को इसकी सूचना दी, जिसके बाद सबसे नजदीकी सेना की पोस्ट को इसे जांचने के लिए भेजा गया।

०५ मई १९९९ को कैप्टन सौरभ कालिया सहित छह जवान वहां पहुंचे, लेकिन उन्हें पाकिस्तानी सेना ने घेर लिया। इसके बाद सभी के क्षत-विक्षत शव भारतीय सेना को मिले। पाकिस्तानी सैनिकों ने बेरहमी से टॉर्चर देते हुए कैप्टन सौरभ के कान के पर्दों को गर्म सलाखों से दागा था। उनकी आंखें फोड़ दी गईं। शरीर के कई अंग काट दिए गए थे और हड्डियां तोड़ दी गईं।

इस अमानवीय घटना के बाद कारगिल युद्ध २३ मई १९९९  शुरू हो गया। भारत के लिए इसे जीतना मुश्किल था, क्योंकि सीमा में लगभग सभी ऊपरी पोस्टों पर पाकिस्तानी सेना का कब्जा था। लेकिन भारतीय सेना ने झुकने और रुकने से इनकार कर दिया। उन्होंने पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देना शुरू किया।
यह भी कहा जाता है कि जनरल मुशर्रफ ने कारगिल युद्ध से पहले वहां के तत्कालीन प्रधानमंत्री शरीफ को भी इसकी जानकारी नहीं दी थी। उन्हें भी युद्ध शुरू होने के बाद इस बारे में पता चला।

रिपोर्ट्स की मानें तो जब भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को बुरी तरह से खदेड़ना शुरू कर दिया तब जीतने के लिए जनरल मुशर्रफ परमाणु हथियार का इस्तेमाल करना चाहते थे, लेकिन सभी ओर से बने दबाव के कारण वह ऐसा नहीं कर सके।

माइनस डिग्री तापमान। बर्फबारी और तेज हवाएं १८  हजार फीट ऊंची चोटी। पथरीली, सीधी चढ़ाई। छिपने के लिए घास का तिनका भी नहीं। ऑक्सीजन भी कम और दुश्मन घात लगाए सिर पर बैठा था लेकिन सेना के जाबाजों ने तोलोलिंग चोटी तिरंगा फहराया और टाइगर हिल को भी फतह किया। २६ जुलाई १९९९ को भारतीय सेना ने पाकिस्तानी घुसपैठियों को पूरी तरह से सीमा से बेदखल करने की घोषणा की और कारगिल युद्ध समाप्त हुआ।

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