Sunday, Dec 08, 2024 | Last Update : 02:58 AM IST
Kalyanasundaram is a beautiful and fine example of Simple Living and High Thinking.
यह कहानी तमिलनाडू के एक छोटे से गांव मेलकरूवेलेंगुलाम की है इनका जन्म अगस्त १९५३ में तिरुनेकवेली जिला तमिल नाडू में हुआ | कल्याणसुंदरम इसी गांव में पले-बड़े जब वह एक साल के थे , उनके पिता की मृत्यु हो गयी तब माँ ने उन्हें पाला तथा बड़ा किया | कल्याणसुंदरम की पढ़ाई तमिलनाडू के सेंट ज़ेवियर विद्यालय ( St Xavier’s College) में हुई |
कल्याणसुंदरम बताते है कि माँ ने उन्हे तीन बातें सिखाई |
(१) कभी लालच मत करो |
(२) अपनी कमाई का हिस्सा दान करो |
(३) हर दिन एक नेक काम करो |
माँ की बात कल्याणसुंदरम के मन में घर कर गयी |
यह बात १९६२ की है जब उन दिनों वो मद्रास विश्वविद्यालय (Madras University) से पुस्तकालय विज्ञान की पढ़ाई कर रहे थे, उस समय भारत और चीन के बीच युद्ध चल रहा था, कल्याणसुंदरम बताते है कि मैने रेडियो पर नेहरू जी का सन्देश सुना, वह भारत के देशवाशियो से रक्षा कोष में दान देने की अपील कर रहे थे उनकी इस अपील को सुन कर में तुरंत मुख्यमंत्री कामयाराज (Kamayaraaj) के पास गया और अपने गले से सोने की जंजीर उतरते हुए कहा आप इसे कोष में जमा कर लीजिये शायद ये सैनिकों के काम आ जाये |
मुख्यमंत्री इतने प्रभावित हुए की मई दिवस को कल्याणसुंदरम को सम्मानित किया, पढ़ाई के बाद विश्वविद्यालय में लिब्रियन की नौकरी मिल गयी ३५ (35) साल नौकरी कर के अपना सारा वेतन गरीब बच्चो को और स्कूल जाने वाले बच्चो को दान करने लगे |
१९९० (1990) में कल्याणसुंदरम को यू. जी. जी (U.G.G) में १(1) लाख रुपये महेतनामा मिला , वह डी.म (DM) कार्यालय पहुंचे और जिला अधिकारी को पूरी राशि देते हुए हुए कहा कि आप इसे अनाथ बच्चो के कल्याण पर लगा दीजिये | डी.म (DM) के जरिये यह बात मीडिया तक पहुंची तथा फ़ैल गयी, पहली बार इस व्यक्ति के बारे में सारे शहर को पता चला तब यह खबर सुपर स्टार रजनी-कांत तक भी पहुंची अभिनेता रजनी -कांत ने उन्हे बतोर पिता गोद लेने का निर्णायै लिया और वो कल्याणसुंदरम को अपने साथ घर ले जाना चाहते थे पर कल्याणसुंदरम इस बात पर राजी नहीं हुए |
साल १९९८ (1998) में रेटिरमेंट (Ritrement) के बाद कल्याणसुंदरम ने पालम नाम की संस्था बनायीं पीएफ (PF) के १० (10) लाख रुपये संस्था को दान केर दिये ओर हर महीने आने वाली पैंशन भी दान में जाने लगी |
खुद के गुजरे के लिये वो होटल में वेटर (waiter)का काम करने लगे कल्याणसुंदरम कहते है की मैने शादी नहीं की इस लिए मेरी जरूरतें बहुत काम है मुझे पेंशन की जरूरत नहीं है वह अपने सारी पैतृक सम्पति सामाजिक संस्था को दान केर चुके है |
उन्होंने मरने के बाद अपने आंखे और शरीर भी दान देने का ऐलान भी किया है, एक अमेरिकी संस्था ने उन्हे मैन ऑफ़-दा-मिलियन (Man of Million) का ख़िताब भी दिया है | इस मौके पर उन्हे इनाम बतौर ३० (30 Crore)करोड़ रुपए मिले यह पैसा भी उन्होने दान कर दिया |
कल्याणसुंदरम कहते है इस दुनिया में हर इंसान मृत्यु के बाद खाली हाथ जाता है फिर सम्पति जोड़ने की होड़ कैसी दुसरो के लिये जियो उसी में सच्चा सुकून मिलेगा |
“We cannot sustain ourselves, unless we contribute to the society in someway or the other. I strongly feel if even one person does his bit towards social good, there will be some change.”-- P. kalyanasundaram
...