जाने क्यों मनाया जाता है महाशिवरात्रि का पर्व

Thursday, Mar 28, 2024 | Last Update : 04:30 PM IST

जाने क्यों मनाया जाता है महाशिवरात्रि का पर्व

फाल्गुन महीने में कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को आने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है।
Feb 5, 2018, 8:40 am ISTFestivalsAazad Staff
Shiv
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देवों के देव महादेव, तीनों लोकों के मालिक भगवान शिव का सबसे बड़ा पर्व महाशिवरात्रि  का माना जाता है। देशभर में इस पर्व को धूमधाम से मनाया जाता है।महाशिवरात्रि का पर्व हिंदू कैलेंडर के अनुसार, माघ महीने की कृष्णपक्ष की चतुर्थदशी तिथि को मनाया जाता है।इस दिन श्रद्धालू व्रत कर भगवान शिव से अपनी मनोकामना पूरी करने की कामना करते हैं। इस साल महाशिवरात्रि 13 फरवरी 2018 को मनाई जाएगी।

क्यों मनाते है महाशिवरात्रि-
ऐसा माना जाता है कि इस दिन आत्मा और परमात्मा का महा-मिलन होता है और ईश्वर को याद करने वाली आत्माओं को दिव्य ज्ञान प्राप्त होकर उसी ज्ञान की धारणा कर ,दिव्य गुणों का संस्कार कर पावन होती है । शिवरात्रि के इस पावन पर्व पर परमपिता परमात्मा शिव का अवतरण होता है, शिव जन्म नहीं लेते  लेकिन मनुष्य तन का आधार लेते है , जिसका भगवान शिव ब्रम्हा नाम रखते है।

वैसे ये भी मान्यता है कि इस दिन शिव का विवाह पार्वती के साथ हुआ था। शिव की पूजा शुभ मुहूर्त में करने से जीवन की हर संकट का समाधान हो जाता है। साथ ही मान्यता यह भी है कि इस दिन व्रत रखने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है।

इस दिन विधिपूर्वक व्रत रखने पर और शिवपूजन, शिव कथा, शिव स्तोत्रों का पाठ व "ऊं नम: शिवाय" का पाठ करते हुए रात्रि जागरण करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान फल प्राप्त होता हैं. व्रत के दूसरे दिन यथाशक्ति वस्त्र-क्षीर सहित भोजन, दक्षिणा दिया जाता है।

इस दिन को लेकर ये भी मान्यता है कि महाशिवरात्रि पर भगवान मानवजाति के काफी निकट आ जाते हैं। मध्यरात्रि के समय ईश्वर मनुष्य के सबसे ज्यादा निकट होते हैं। यही कारण है कि लोग शिवरात्रि के दिन रातभर जागते हैं।

शिव और शंकर में क्या है अंतर
भक्त गण शिव और शंकर को एक ही समझते है, लेकिन शिव अलग है और शंकर अलग है शिव तो निराकार ज्योतिर्बिंदु स्वरुप है, जिनकी सारे भारत वर्ष में ,हर गांव - गांव में ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजा होती है , शिव निराकार होने से उनकी पूजा कैसे की जाए ,दूध , घी ,बेलपत्र कैसे चढ़ाये इसलिए शिव को एक लिंग के रूप में आकार दिया गया है।

व्रत की महिमा
इस व्रत के विषय में मान्यता है कि जो व्रत करता करता है, उसे सभी भोगों की प्राप्ति के बाद, मोक्ष की प्राप्ति होती है. यह व्रत सभी पापों का समाप्त करने वाला है. इस व्रत को लगातार 14 वर्षों तक करने के बाद विधि-विधान के अनुसार इसका समापन करना चाहिए।

महाशिवरात्रि पूजा
महाशिवरात्रि पूजा में बेलपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल भगवान शिव को अत्यधिक प्रिय हैं। भगवान शिव की आराधना में इन्हीं वस्तुओं का प्रयोग करें। ऐसी मान्यता है कि अगर कुंवारी लड़कियां महाशिवरात्रि व्रत रखती हैं तो उन्हें योग्य वर प्राप्त होता है।

भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए पूजा करते समय ऊँ नमः शिवाय…मंत्र का जाप करते हुए ऊपर बताई गई सभी वस्तु भोलेबाबा को अर्पित करें।

भगवान शिव पर भूल कर भी नहीं चढ़ाने चाहिएं ये चीजे-
भगवान शिव जहां वे अपने भक्तों से बहुत ही जल्दी प्रसन्न हो जाते है तो वही दूसरे क्षण बहुत जल्दी क्रोधित भी हो जाते है और जल्दी रौद्र रूप धारण कर लेते हैं। इनेमें केतकी के फूल, तुलसी, नारियल का पानी, हल्दी, कुमकुम या सिंदूर शामिल है।

मनोकामना पूर्ति के लिए ऐसे करें महादेव को प्रसन्न
शिव पुराण के अनुसार जातक अगर धन लाभ या संपत्ति लाभ प्राप्त करना चाहता है तो उसे शिवलिंग पर कच्चे चावल चढ़ाने चाहिए, इससे अवश्य ही शुभ फल प्राप्त होगा।  

तिल अर्पित करने से पापों का नाश होता है-
इसके साथ ही ये मान्यता है कि भगवान शिव को तिल अर्पित करने से समस्त पापों का नाश होता है, यह उपाय कर्मक्षय करने में बहुत लाभदायक है।
 

ऐसे करे शिव की उपासना-
शिव ही एक मात्र ऐसे देवता हैं जिनकी लिंग रूप में भी पूजा की जाती है। शिव को प्रसन्न करने के लिए उन्हें अनेक ऐसी चीजें अर्पित की जाती हैं जो और किसी देवता को नहीं चढ़ाई जाती। जैसे आंक, बेलपत्र, भांग दूध, आदि,। भगवान शिव को सफेद रंग के फूल अत्यधिक प्रिय होते है।

भगवान शिव को  प्रसन्न करने के लिए इन मंत्रों का करे जाप -

श्री शिवाय नम: ।। 

श्री शंकराय नम: ।।

श्री महेशवराय नम: ।।

श्री रुद्राय नम: ।।

ऊँ पार्वतीपतये नमः ।।

ऊँ नमो नीलकण्ठाय नम:  ।। 

इन मंत्रों का 108 बार जाप करने से मनोकामाएं पूरी होती है।

महाशिवरात्रि पर्व भारत के अलावा नेपाल में भी मनाया जाता है। भारत के मध्‍यप्रदेश में जिले उज्‍जैन में यह पर्व काफी धूमधाम से मनाया जाता है, कहते हैं यहां भगवान शिव रहते है। यहां, भक्त भगवान शिव की मूर्ति के साथ जुलूस निकालते हैं।

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