Krishna Janmashtami

Friday, Apr 19, 2024 | Last Update : 01:04 PM IST


Krishna Janmashtami (श्रीकृष्ण जन्माष्टमी)

Krishna Janamashtmi also known as 'Krishnashtami', 'Saatam Aatham', 'Gokulashtami', 'Ashtami Rohini', 'Srikrishna Jayanti', 'Sree Jayanthi' or sometimes simply as 'Janamashtami', is a Hindu Festival celebrating the birth of Krishna, an avatar of the Hindu deity Vishnu.
Aug 22, 2016, 5:18 pm ISTFestivalsSarita Pant
Krishna Janmashtami
  Krishna Janmashtami

भगवान कृष्ण की  ५२४४  वीं वर्षगांठ मना रहे है | दही हांड़ी १५ अगस्त को मनाई जा रही है | 
२०१७ जन्माष्टमी का समय ओर मोहरत 
निशिता पूजा समय = २४:०३  से २४:४७ 
अवधि = 0 घंटे ४३  मिनट
अर्ध रात्रि  पल = २४: २५
दिनांक १५  पर, पराना समय  = १७ :३९  के बाद
पराना दिवस पर अष्टमी तिथी समाप्ति समय = १७:३९
वैष्णव कृष्ण जन्माष्टमी १५ / अगस्त / २०१७  को गिरता है
वैष्णव जन्माष्टमी के लिए अगले दिन पराना समय =  ०५ :५४ (सूर्योदय के बाद)
पराना दिवस पर अष्टमी सूर्योदय से पहले मिला
रोहिणी नक्षत्र के बिना जन्माष्टमी
अष्टमी तिथी शुरुआती = १९ :४५  बजे १४ /अगस्त/२०१७ 
अष्टमी तिथी समाप्ति = १७:१५ /अगस्त /२०१७

हिन्दू धर्म का पवित्र और प्रसिद्ध त्योहार  श्रीकृष्ण जन्माष्टमी है। भगवान कृष्ण के जन्मदिन के रूप में जन्माष्टमी  मनाई जाती  है । हिंदू माह श्रवण के कृष्ण पक्ष के आठवें दिन यह त्योहार मनाया जाता है । जन्माष्टमीको  गोकुलाष्टमी के रूप में जाना जाता है ।

जन्माष्टमी  गुजरात और महाराष्टर् मे दही-हांडी के लिए विषेश  प्रसिद्ध है। दही, हांडी, गरबा  जैसे कुछ छोटे या बड़े कार्यर्कम का आयोजन  होता है । भारत में मथुरा और वृंदावन की जन्माष्टमी  दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं क्योकि श्री कृष्ण ने  बचपन मथुरा में बिताया था जन्माष्टमी के दिन के भक्ति गीतों और नृत्यों पूरे भारत में प्रसिध्ध है।

गुजरात के द्वारका में धूम-धाम से जन्माष्टमी मनायी जाती है। जन्माष्टमी के दिन रात के ठीक १२ बजे कृष्ण जन्म मनाया जाता है। जन्माष्टमी भारत में हीं नहीं बल्कि विदेशों में बसे भारतीय भी इसे पूरी आस्था व उल्लास से मनाते हैं।

श्रीकृष्ण का यह अवतार भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि को अत्याचारी कंस का विनाश करने के लिए मथुरा में लिया।

मथुरा में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पावन मौके पर भगवान कान्हा की मोहक छवि देखने के लिए दूर दूर से श्रद्धालु आज के दिन पहुंचते हैं। श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर मथुरा कृष्णमय हो जाता है। मंदिरों को खास तौर पर सजाया जाता है। ज्न्माष्टमी में स्त्री-पुरुष बारह बजे तक व्रत रखते हैं। इस दिन मंदिरों में झांकियां सजाई जाती है और भगवान कृष्ण को झूला झुलाया जाता है और रासलीला का आयोजन होता है।

श्री श्री कृष्ण के जन्म से जुडी  एक कथा इस प्रकार हैं :-  रोहिणी नक्षत्र में देवकी और वासुदेव ने कंस के कारागार में एक पुत्र को जन्म दिया लेकिन कंस के भय से घनघोर बारिश में  वासुदेव एक टोकरी सर पर धारण कर मथुरा के कारागार से गोकुल में नन्द बाबा के घर ले गये जहां यशोदा, नन्द की पत्नी ने  पुत्री जो जन्म दिया था उस पुत्री को टोकरी में    रख  कर और श्री कृष्ण को यशोदा के पास सुला कर मथुरा ले गये कंस ने उस पुत्री को देवकी और नन्द बाबा की संतान समझ केर पटक कर मार् देना चाहा लेकिन कंस इस कार्य में असफल रहा इसके बाद नन्द और यशोदा ने कृष्ण का लालन पालन किया |श्री कृष्णा ने बड़े होकर कंस का वध किया ओर और माता पिता देवकी और वासुदेव को कैद से मुक्त कराया ।

श्री कृष्णा का जन्म उतसव के रूप  में मनाया जाता हैं इस उतसव में लोग श्री कृष्ण के विग्रह पर हल्दी, कपूर, दही, घी, तेल, केसर तथा जल भी डालते हैं |

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