जन्माष्टमी से जुड़ी है ये पौराणिक कथा

Thursday, Apr 25, 2024 | Last Update : 12:05 PM IST


जन्माष्टमी से जुड़ी है ये पौराणिक कथा

इस साल श्री कृष्ण जन्माष्टमी 2 सितम्बर को मनाई जाएगी। अत्यचारी कंस का वध करने के लिए श्री कृष्ण ने अपना अवतार श्रावण माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि के दौरान हुआ था।
Aug 24, 2018, 2:26 pm ISTFestivalsAazad Staff
Janmashtami
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भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को जन्माष्टमी मनाई जाती है। भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को कंस के कारागार (मथुरा)में हुआ था। जन्माष्टमी का त्यौहार भारत में बड़े ही उल्लास और आस्था के साथ मनाया जाता है। ऐसी मान्ता है कि इस दिन भगवान धरती पर अवतरित हुए थे। जन्माष्टमी के अवसर पर मथुरा का शहर भक्ति के रंगों से सराबोर हो उठता है।

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भविष्य पुराण के अनुसार – जो भी व्यक्ति श्रावण मास के शुक्ल पक्ष में कृष्ण जन्माष्टमी व्रत नही करता है तो वह व्यक्ति क्रूर राक्षस होता है।

जन्माष्टमी से जुड़ा इतिहास :
कंस एक बहुत ही दुराचारी राजा था। वह अपनी प्रजा पर अत्याचार करता था लेकिन अपनी बहन देवकी से बहुत स्नेह करता था कंस ने देवकी का विवाह यदुवंशी राजकुमार वसुदेव से कर दिया। विवाह के बाद एक आकाशवाणी हुई कि, देवकी की आठवीं संतान कंस का संहार करेगी। यह सुनकर कंस ने बहन को मारने के लिए तलवार निकली ही थी कि वसुदेव ने उसे शांत किया और वादा किया कि वे अपने पुत्रों को उसे सौंप दिया करेंगे।

कंस ने दोनों को कैद कर लिया और कारागार में डाल दिया। इसके बाद जब देवकी को पहली स्ंतान हुई तो वासुदेव ने अपने दिए हुए वचन के अनुसार वो पुत्र कंस को दे दिया और कंस ने उनके संतान की हत्या कर दी इसी प्रकार देवीकी ने 7 संतानों को जन्म दिया और कंस ने उन सभी की हत्या कर दी। इसके बाद 8वें पुत्र के रूप में श्रीहरि ने जन्म लिया। यह अवतार उन्होंने भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को आधी रात में लिया था। इसलिए तभी से इस दिन को कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाने लगा।

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