आखिर किस दिन है जन्‍माष्‍टमी? जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त

Aazad Staff

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इस बार जन्‍माष्‍टमी दो दिन पड़ रही है. ब्राह्मणों के घरों और मंदिरों में 2 सितंबर को जन्‍माष्‍टमी मनाई जाएगी, जबकि वैष्‍णव सम्‍प्रदाय को मानने वाले लोग 3 सितंबर को जन्‍माष्‍टमी का त्‍योहार मनाएंगे.

सब के प्?यारे नटखट नंदलाल, राधा के श्?याम और भक्?तों के भगवान श्रीकृष्?ण (Lord Krishna) के जन्?मदिन की तैयारियां पूरे देश में चल रही हैं. इस बार श्रीकृष्?ण की 5245वीं जयंती है. मान्?यता है कि भगवान श्रीकृष्?ण का जन्?म भाद्रपद यानी कि भादो माह की कृष्?ण पक्ष की अष्?टमी को हुआ था. हालांकि इस बार कृष्?ण जन्?माष्?टमी (Krishna Janmashtami) की तारीख को लेकर लोगों में काफी असमंजस में हैं. इस बार जन्?माष्?टमी दो दिन पड़ रही है क्?योंकि यह त्?योहार 2 सितंबर और सितंबर दोनों ही दिन मनाया जाएगा. वहीं, वैष्?णव कृष्?ण जन्?माष्?टमी 3 सितंबर को है. अब सवाल उठता है कि व्रत किस दिन रखें? जवाब है 2 सितंबर यानी कि पहले दिन वाली जन्माष्टमी (Janmashtami) मंदिरों और ब्राह्मणों के घर पर मनाई जाती है. 3 सितंबर यानी कि दूसरे दिन वाली जन्माष्टमी वैष्णव सम्प्रदाय के लोग मनाते हैं.

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जन्?माष्?टमी का महत्?व:
श्रीकृष्?ण जन्?माष्?टमी का पूरे भारत वर्ष में विशेष महत्?व है. यह हिन्?दुओं के प्रमुख त्?योहारों में से एक है. ऐसा माना जाता है कि सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्?णु ने श्रीकृष्?ण के रूप में आठवां अवतार लिया था. देश के सभी राज्?य अलग-अलग तरीके से इस महापर्व को मनाते हैं. इस दिन क्?या बच्?चे क्?या बूढ़े सभी अपने आराध्?य के जन्?म की खुशी में दिन भर व्रत रखते हैं और कृष्?ण की महिमा का गुणगान करते हैं. दिन भर घरों और मंदिरों में भजन-कीर्तन चलते रहते हैं. वहीं, मंदिरों में झांकियां निकाली जाती हैं और स्?कूलों में श्रीकृष्?ण लीला का मंचन होता है.

जन्?माष्?टमी की तिथि और शुभ मुहूर्त

इस बार अष्टमी 2 सितंबर की रात 08:47 पर लगेगी और 3 तारीख की शाम 07:20 पर खत्म हो जाएगी.

अष्?टमी तिथि प्रारंभ: 2 सितंबर 2018 को रात 08 बजकर 47 मिनट.
अष्?टमी तिथि समाप्?त: 3 सितंबर 2018 को शाम 07 बजकर 20 मिनट.

रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ: 2 सितंबर की रात 8 बजकर 48 मिनट.
रोहिणी नक्षत्र समाप्?त: 3 सितंबर की रात 8 बजकर 5 मिनट.​

जन्?माष्?टमी की पूजा
भगवान श्री कृष्?ण की प्रतिमा के आगे उनका ध्?यान करते हुए इस मंत्र का उच्?चारण करें:
ॐ तमअद्भुतं बालकम् अम्?बुजेक्षणम्, चतुर्भुज शंख गदाद्युधायुदम्।
श्री वत्?स लक्ष्?मम् गल शोभि कौस्?तुभं, पीताम्?बरम् सान्?द्र पयोद सौभंग।।
महार्ह वैढूर्य किरीटकुंडल त्विशा परिष्?वक्?त सहस्रकुंडलम्।
उद्धम कांचनगदा कङ्गणादिभिर् विरोचमानं वसुदेव ऐक्षत।।
ध्यायेत् चतुर्भुजं कृष्णं,शंख चक्र गदाधरम्।
पीताम्बरधरं देवं माला कौस्तुभभूषितम्।।
ॐ श्री कृष्णाय नम:। ध्?यानात् ध्?यानम् समर्पयामि।।

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