डॉ. भीमराव अंबेडकर का जीवन परिचय

Aazad Staff

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इनके नाम के आगे 26 उपाधियां जुडी है।

डॉ. बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर का जन्म 1891 में 14 अप्रैल के दिन महार जाति में हुआ था जिसे लोग अछूत और बेहद निचला वर्ग मानते थे। इनके पिता का नाम रामजी वल्द मालोजी सकपाल था व माता का नाम भीमाबाई था। बाबा भीमराव अंबेडकर के दो भाई बलराम और आनंदराव थे। इनकी दो बहने थी मंजुला और तुलासा। ऐसा कहा जाता है कि अपने एक देशस्त ब्राह्मण शिक्षक ?महादेव अंबेडकर? जो उनसे विशेष स्नेह रखते थे उनके कहने पर अंबेडकर ने अपने नाम से सकपाल हटाकर अंबेडकर जोड़ लिया था जो उनके गांव के नाम "अंबावडे" पर आधारित था।

शिक्षा-

भीमराव अंबेडकर ने बंबई के एलफिन्स्टोन स्कूल से 1907 में मैट्रिक की परीक्षा पास की। बी.ए. करने के बाद उन्होने एम.ए. के अध्ययन हेतु बड़ौदा नरेश सयाजी गायकवाड़ की पुनः फेलोशिप पाकर उन्होने अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय में दाखिल लिया।

सन 1915 में उन्होंने स्नातकोत्तर उपाधि की परीक्षा पास की। 1916 में कोलंबिया विश्वविद्यालय से ही उन्होंने पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की, उनके पीएच.डी. शोध का विषय था 'ब्रिटिश भारत में प्रातीय वित्त का विकेन्द्रीकरण?।

भीमराव अंबेडकर को कोलंबिया विश्वविद्यालय ने एल.एलडी और उस्मानिया विश्वविद्यालय ने डी. लिट्. की मानद उपाधियों से सम्मानित किया था। उनके नाम के साथ बीए, एमए, एमएससी, पीएचडी, बैरिस्टर, डीएससी, डी.लिट्. आदि कुल 26 उपाधियां जुडी है।

इस तरह भीमराव अंबेडकर ने दलितों के लिए तैयार किया संविधान-

सन् 1945 में बाबा भीमराव अंबेडकर ने अपनी पीपुल्?स एजुकेशन सोसायटी के जरिए मुम्बई में सिद्वार्थ महाविद्यालय तथा औरंगाबाद में मिलिन्द महाविद्यालय की स्थापना की।

भीमराव अंबेडकर ने समता, समानता, बन्धुता एवं मानवता आधारित भारतीय संविधान को 02 वर्ष 11 महीने और 17 दिन के कठिन परिश्रम से तैयार कर 26 नवंबर 1949 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को सौंप कर देश के समस्त नागरिकों को राष्ट्रीय एकता, अखंडता और व्यक्ति की गरिमा की जीवन पध्दति से भारतीय संस्कृति को अभिभूत किया।

महिलाओं के हित के लिए उन्होने 1951 में महिला सशक्तिकरण का हिन्दू संहिता विधेयक पारित करवाने का बखूबी प्रयास किया हालांकि विधेयक को पारित नही किए जाने पर उन्होने पने पद से इस्तीफा भी दे दिया। पारित न होने पर स्वतंत्र भारत के प्रथम कानून मंत्री के पद से इस्तीफा दिया।

दलीतों के लिए चलाए थे कई आंदोलन-

भीमराव अंबेडकर ने दलितों एवं दलित आदिवासियों के मंदिर प्रवेश, पानी पीने, छुआछूत, जातिपाति, ऊॅच-नीच जैसी सामाजिक कुरीतियों को मिटाने के लिए मनुस्मृति दहन (1927), महाड सत्याग्रह (वर्ष 1928), नासिक सत्याग्रह (वर्ष 1930), येवला की गर्जना (वर्ष 1935) जैसे आंदोलन चलाये।

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