जाने भगवान नृसिंह के व्रत, कथा व पूजन विधि का महत्व

Aazad Staff

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भगवान विष्णु के अवतारों में नृसिंह अवतार बहुत अद्धुत है। इसमें उनका आधा शरीर सिंह का और आधा शरीर मनुष्य रुप में है। भगवान का ये अवतार साबित करता है की वे कण-कण में हैं और अपने भक्त की रक्षा के लिए वे कहीं भी कभी भी अवतार ले सकते हैं।

वैशाख शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी के दिन नृसिंह जयंती का पर्व पूरे भारत वर्ष में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस बार यह तिथि १७ मई २०१९ को पड़ रही है। चतुर्दशी तिथि १७ मई को प्रात:६.०४ बजे से प्रारंभ होगी। इस बार नृसिंह जयंती का पर्व त्रयोदशी बद्ध तिथि में मनाया जाएगा।

हिरण्यकश्यपु को मिला था ब्रह्माजी से ये वरदान

अपने भाई की मृत्यु का प्रतिशोध लेने के लिए हिरण्यकश्यपु ने ब्रह्माजी की कठोर तपस्या करके अजेय होने का वरदान प्राप्त कर लिया था। उसने ब्रह्माजी से ये वरदान पाया था कि किसी के भी द्वारा मारा ना जाए। न मनुष्य से न पशु से। न दिन में न रात में, न जल में न थल में। वरदान के फलस्वरूप उसने स्वर्ग पर भी अधिकार कर लिया। वह अपनी प्रजा पर भी अत्याचार करने लगा। इसी दौरान हिरण्यकश्यपु की पत्नी कयाधु ने एक पुत्र को जन्म दिया, जिसका नाम प्रहलाद रखा गया। एक राक्षस कुल में जन्म लेने के बाद भी प्रहलाद भगवान नारायण का परम भक्त था और वह सदा अपने पिता द्वारा किए जा अत्याचारों का विरोध करता था।

अपने पुत्र को नारायण के भक्ति मार्ग से हटाने के लिए हिरण्यकश्यपु पर कई अत्याचार किए लेकिन उसका पुत्र प्रहलाद अत्यातारों से डरा नहीं और हमेशा ये कहता रहा कि आप मुझ पर कितना भी अत्याचार कर लें मुझे नारायण हर बार बचा लेंगे। इन बातों से क्रोधित होकर हिरण्यकश्यपु ने उसे अपनी बहन होलिका की गोद में बैठाकर जिंदा जलाने का प्रयास किया। होलिका को वरदान था कि अग्नि उसे जला नहीं सकती थी। लेकिन जब प्रहलाद को होलिका की गोद में बिठा कर अग्नि के हवाले किया गया तो उसमें होलिका तो जलकर राख हो गई लेकिन प्रहलाद बच गया। इस घटना ने हिरण्यकश्यपु को भीषण क्रोध दिला दिया। उसने बोला कि तू नारायण नारायण करता फिरता है, बता कहां है तेरा नारायण। प्रहलाद ने जवाब दिया पिताजी मेरे नारायण इस सृष्टि के कण कण में व्याप्त हैं। क्रोधित हिरण्यकश्यपु ने कहा कि 'क्या तेरा भगवान इस खंभे में भी है? प्रह्लाद के हां कहते ही हिरण्यकश्यपु ने खंभे पर प्रहार कर दिया तभी खंभे को चीरकर भगवान विष्णु आधे शेर और आधे मनुष्य रूप में नृसिंह अवतार लेकर प्रकट हुए और उन्होंने हिरण्यकश्यपु का वध कर दिया। ब्रह्माजी का वरदान झूठा ना हो इसलिए भगवान विष्णु ने ऐसे समय और स्वरूप का चुनाव किया जिससे ब्रह्माजी के वरदान का मान रह गया।

कैसे करें भगवान नृसिंह का पूजन

नृसिंह जयंती के दिन व्रत एवं भगवान विष्णु के नृसिंह अवतार की पूजा की जाती है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। अपने घर के पूजा स्थान में एक चौकी पर लाल श्वेत वस्त्र बिछाकर उस पर भगवान नृसिंह और मां लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें। षोडशोपचार पूजन करें। भगवान नृसिंह की पूजा में फल, पुष्प, पंचमेवा, कुमकुम केसर, नारियल, अक्षत व पीतांबर का प्रयोग करें। भगवान नृसिंह के मंत्र ऊं नरसिंहाय वरप्रदाय नम: मंत्र का जाप करें। जाप करते समय कुश का आसन बिछा लें और रूद्राक्ष की माला से जाप करें। दिन भर व्रत रखें।

आयु रक्षा और सर्वकल्याण के लिए करें ये व्रत-

- भगवान नृसिंह की नियमित रुप से उपासना करें.
- उन्हें पीली वस्तुओं का भोग लगाएं.
- इसके बाद विशेष मन्त्र का कम से कम 108 बार जाप करें.
- मंत्र होगा- "उग्रं वीरं महाविष्णुम , ज्वलन्तं सर्वतोमुखम। नृसिंहम भीषणं भद्रं , मृत्योर्मृत्यु नमाम्यहम।।"

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