जाने क्यों मनाई जाती है ईद, जकात और फितरा का क्या है अर्थ

Aazad Staff

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शुक्रवार को मनाया जा रहा है ईद उल फितर

इस साल ईद 15 या 16 मई को मनाई जाएगी। हिजरी कैलेण्डर के अनुसार ईद साल में दो बार आती है। एक ईद होती है ईद-उल-फितर और दूसरी ईद-उल-जुहा। ईद-उल-फितर को मीठी ईद भी कहा जाता है, जबकि ईद-उल-जुहा को बकरीद के नाम से भी जाना जाता है। ईद रमजान जैसे कठिन अनुशासित त्याग और समर्पण के तीस दिनों के बाद आती है। यह ईद ईश्वर का वह इनाम है जो आपको रमजान की सेवाओं के बाद मिलता है। ईद इंसान को इंसान से जोड़ने का एक फलसफा है। ईद एक ऐसा त्यौहार है जो ये बता ता है कि हर इंसान एक बराबर व एक समान है।

रमजान में रोजेदार पूरे महीने अल्लाह की इबादत करने हुए रोजे रखते हैं।माना जाता है कि रमजान के महीने की 27वीं रात, जिसे शब-ए-क़द्र को कहा जाता है। जिस दिन कुरान का नुजुल यानी अवतरण हुआ था।

जाने क्या होता है जकात और फितरा -

ईद की नमाज से पहले जकात और फितरा आता है, इसमें व्यक्ति किसी कमजोर व्यक्ती को अपनी सालभर की आमदनी का कुछ हिस्सा देकर अदा करता है। इतना ही नहीं पाक पर्व ईद के रोज अपने से छोटों और कमजोरों को ईदी देकर आर्थिक सुरक्षा का एहसास भी दिलाना होता है। ये नियम बताते हैं कि आपका किसी पर एहसान नहीं बल्कि यह आपका कर्तव्य है, इसलिए इसका ख्याल रखना होता है कि इन्हें लेने वाली आंखों में शर्म न आने पाए।

कहा जाता है कि ईद में अगर आपके दिल में मानवमात्र की सेवा, बराबरी और कमजोर को सहारा देने का भाव उत्पन्न नहीं हो रहा है तो आप ईश्वर की मंशा के विरुद्ध केवल जी रहे हैं।

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