कमला दास की कलम में थी वो ताकत जिसने पुरुष समाज को हिला कर रख दिया

Aazad Staff

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आज ही के दिन उनकी पुस्तक आत्म हत्या हुई थी रिलीज। कमला दास को साल 1984 में नोबेल पुरस्‍कार के लिए नॉमिनेट किया गया था।

कमला दास का जन्म केरल त्रिचूर जिले में 31 मार्च, 1934 को हुआ था। कमला दास बचपन से ही लिखने में रुचि थी। पिता वीएम नायर मलयाली अखबार मातृभूमि अखबार के संपादक थे और मां नलापत बालामणि अम्मा जानीं-मानी मलयाली कवियित्रि थीं। कवि के गुण उन्होंने अपनी मां से ही लिए।

कमला दास के नाना भी अपने जमाने के मशहूर लेखक रहे थे। उनके लेखन को चुनने के पीछे इन दो लोगों का बड़ा हाथ रहा। कमला दास ने 5 साल की उम्र से ही कविताएं लिखना शुरू कर दिया था। आज ही के दिन साल 1976 में उन्होंने अपनी आत्मकथा 'माई स्टोरी' रिलीज की थी। कमला दास महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दे पर काफी लिखा करती थी। कमला अंग्रेजी और मलयाली में लिखा करती थी।

कमला दास का विवाह 15 साल की कम उम्र में एक बैंकर माधव दास के साथ हुआ था। यही नहीं 16 साल की छोटी उम्र में वो मां भी बन चुकी थीं. कमला दास ने 1984 में एक राजनैतिक पार्टी बना कर चुनाव भी लड़ा, लेकिन उनकी जमानत जब्त हो गई. इसके बाद वे राजनीति से हट गईं।

कमला दास ने अंग्रेजी में 'द सिरेंस', 'समर इन कलकत्ता', 'दि डिसेंडेंट्स', 'दि ओल्डी हाउस एंड अदर पोएम्स', 'अल्फाबेट्स ऑफ लस्ट', 'दि अन्नामलाई पोएम्सल' और 'पद्मावती द हारलॉट एंड अदर स्टोरीज' समेत 12 किताबें लिखीं. वहीं मलयालम में 'पक्षीयिदू मानम', 'नरिचीरुकल पारक्कुम्बोल', 'पलायन', 'नेपायसम', 'चंदना मरंगलम' और 'थानुप्पू' समेत 15 किताबें पब्?लिश हुईं हैं.

कमला दास को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी सम्मान मिला। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से लेकर वयलॉर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। साल 1999 में 65 वर्ष की उम्र में उन्होंने धर्म परिवर्तन कर इस्लाम अपना लिया। इसके 10 साल बाद 31 मई, 2009 को पुणे में कमला दास ने अपनी आखिरी सांसे लीं।

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