रमजान का महत्व

Aazad Staff

Festivals

इस पाक महीने में अल्लाह अपने बंदों पर रहमतों का खजाना लुटाता है।

इस्लामी कैलेंडर में इस महीने को हिजरी कहा जाता है. मान्यता है कि हिजरी के इस पूरे महीने में कुरान पढ़ने से ज्यादा सबाब मिलता है। ऐसा माना जाता है कि इस पाक महीने में भूखे-प्यासे रहकर खुदा की इबादत करने वालों के गुनाह माफ हो जाते हैं। इस माह में दोजख (नरक) के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं और जन्नत की राह खुल जाती है।

इस्लाम की पांच बुनियादों में रोजा को शामिल किया गया है। कुरान शरीफ में रमजान का जिक्र किया गया है। जिसे अल्लाह ने ही अमल के लिए रमजान का महीना मुकर्रर किया है। ऐसा माना जाता है कि रमजान में की गई हर नेकी का सवाब कई गुना बढ़ जाता है। इस महीने में एक रकात नमाज अदा करने का सवाब 70 गुना हो जाता है। नए चांद के साथ शुरू हुए रोजे 30 दिन बाद नए चांद के साथ ही खत्?म होते है।

रमजान को तीन अशरों में बाटा गया है।

अमूमन 30 दिनों के रमजान माह को तीन अशरों (खंडों) में बांटा गया है। पहला अशरा ?रहमत? का है। इसमें अल्लाह अपने बंदों पर रहमत की दौलत लुटाता है। दूसरा अशरा ?बरकत? का है जिसमें खुदा बरकत नाजिल करता है जबकि तीसरा अशरा ?मगफिरत? का है। इस अशरे में अल्लाह अपने बंदों को गुनाहों से पाक कर देता है।

रमजान का उद्देश्य साधन सम्पन्न लोगों को भी भूख-प्यास का एहसास कराकर पूरी कौम को अल्लाह के करीब लाकर नेक राह पर डालना है। साथ ही यह महीना इंसान को अपने अंदर झाँकने और खुद का मूल्यांकन कर सुधार करने का मौका भी देता है।

रोज़ा यानी संयम। यानि आप कितना संयम बरत सकते हैं, इस बात की परीक्षा इस दौरान होती है। तमाम बुराइयों से दूर रहना चाहिये। गलत या बुरा नहीं बोलना, आंख से गलत नहीं देखना, कान से गलत नहीं सुनना, हाथ-पैर तथा शरीर के अन्य हिस्सों से कोई नाजायज़ अमल नहीं करना।

रमजान के दौरा करे ये काम-
कलमा पढ़ते रहें
अल्?लाह का नाम लें
नशा मत करें
झूठ मत बोलें
दान पुण्?य करें
लड़ाई-झगड़ों से दूर रहें
स्?त्री को गलत नीयत से न देखें

Latest Stories

Also Read

CORONA A VIRUS? or our Perspective?

A Life-form can be of many forms, humans, animals, birds, plants, insects, etc. There are many kinds of viruses and they infect differently and also have a tendency to pass on to others.