आजादी के नारे जो हर देशवासियों के मन में देशभक्ति का जज्बा जगाती है

Aazad Staff

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क्या था इनके दिल में जो इतना बड़ा काम कर गए, देखें हमारे लिए क्या लिख-छोड़ गए।

हमारे देश को आजादी दिलाने के लिए कई नौ जवानों ने बलिदान दिया। भगत सिंह, चंद्र शेखर आजाद, बटुकेश्वर दत्त, राम प्रसाद बिस्मिल जैसे कई क्रांति कारियों ने अपने इस देश को गुलामी की जंजीरों से आजादी दिलाने के लिए अपने प्राणों की कुर्बानी दी। इनके द्वारा बोले गए देशभक्ती के नारे आज भी हर देशवासियों में देशभक्ति का जज्बा जगाते है।


भगत सिंह नारे / सोच -

जिन्दगी तो अपने दम पर ही जी जाती है
दुसरो के कन्धों पर तो सिर्फ जनाजे उठाये जाते हैं ​

मै इस बात पर जोर देता हूँ की मैं महत्वाकांक्षा,
आशा और जीवन के प्रति आकर्षण से भरा हुआ हूँ.
पर मैं जरूरत पड़ने पर ये सब त्याग सकता हूँ,
और वही सच्चा बलिदान हैं

निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम लक्षण हैं

आम तोर पर लोग चीजें जैसी हैं उसके आदि हो जाते हैं और बदलाव के विचार से ही कांपने लगते हैं.
हमें इसी निष्क्रियता भी भावना को क्रांतिकारी भावना से बदलने की जरूरत है

इंकलाब जिंदाबाद

साम्राज्यवाद का नाश हो।

बम और पिस्तौल क्रांति नहीं लाते,
क्रान्ति की तलवार विचारों के धार बढ़ाने वाले पत्थर पर रगड़ी जाती है।

क्रांति मानव जाती का एक अपरिहार्य अधिकार है.
स्वतंत्रता सभी का एक कभी न खत्म होने वाला जन्म-सिद्ध अधिकार है.
श्रम समाज का वास्तविक निर्वाहक है

व्यक्तियो को कुचल कर, वे विचारों को नहीं मार सकते।

निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम लक्षण हैं।

मैं एक मानव हूं और जो कुछ भी मानवता को प्रभावित करता है उससे मुझे मतलब है।

प्रेमी, पागल, और कवी एक ही चीज से बने होते हैं।

चंद्रशेखर आजद के अनमोल वचन

दुश्मन की गोलियों का हम सामना करेंगे,
आजाद ही रहे हैं.
आजाद ही रहेंगे?

अब भी जिसका खून न खौला वह खून पानी हैं?.
जो ना आए देश के काम वह बेकार जवानी है ।

चंद्रशेखर आजाद का नारा

भारत माता की जय ।

राम प्रसाद बिस्मिल कविता -

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,
देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-कातिल में है?
वक्त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आस्माँ!
हम अभी से क्या बतायें क्या हमारे दिल में है?

एक से करता नहीं क्यों दूसरा कुछ बातचीत,
देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफ़िल में है।
रहबरे-राहे-मुहब्बत!
रह न जाना राह में,
लज्जते-सेहरा-नवर्दी दूरि-ए-मंजिल में है।

अब न अगले वल्वले हैं और न अरमानों की भीड़,
एक मिट जाने की हसरत अब दिले-'बिस्मिल' में है ।
ए शहीद-ए-मुल्को-मिल्लत मैं तेरे ऊपर निसार,
अब तेरी हिम्मत का चर्चा गैर की महफ़िल में है।

खींच कर लायी है सब को कत्ल होने की उम्मीद,
आशिकों का आज जमघट कूच-ए-कातिल में है।
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,
देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-कातिल में है?

है लिये हथियार दुश्मन ताक में बैठा उधर,
और हम तैय्यार हैं सीना लिये अपना इधर।
खून से खेलेंगे होली गर वतन मुश्किल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है।

हाथ जिनमें हो जुनूँ , कटते नही तलवार से,
सर जो उठ जाते हैं वो झुकते नहीं ललकार से,
और भड़केगा जो शोला-सा हमारे दिल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है।

हम तो निकले ही थे घर से बाँधकर सर पे कफ़न,
जाँ हथेली पर लिये लो बढ चले हैं ये कदम।
जिन्दगी तो अपनी महमाँ मौत की महफ़िल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है।

यूँ खड़ा मकतल में कातिल कह रहा है बार-बार,
"क्या तमन्ना-ए-शहादत भी किसी के दिल में है?"
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,
देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-कातिल में है ?

दिल में तूफ़ानों की टोली और नसों में इन्कलाब,
होश दुश्मन के उड़ा देंगे हमें रोको न आज।
दूर रह पाये जो हमसे दम कहाँ मंज़िल में है!
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है ।

जिस्म वो क्या जिस्म है जिसमें न हो खूने-जुनूँ,
क्या वो तूफाँ से लड़े जो कश्ती-ए-साहिल में है।
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है ।
देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-कातिल में है ?


फाँसी पर जाते समय भगत सिंह और उनके दो साथी तीनों एक साथ मिलकर पूरी मस्ती के साथ​

मेरा रँग दे बसन्ती चोला,
मेरा रँग दे;

मेरा रँग दे बसन्ती चोला।
माय रँग दे बसन्ती चोला।।

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