गुरुदेव के नाम से भी जाने जाते थे रविंद्रनाथ टैगोर ।

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गुरुदेव के नाम से भी जाने जाते थे रविंद्रनाथ टैगोर।

रबीन्द्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई, 1861 को कलकत्ता के प्रसिद्ध जोर सांको भवन में हुआ था। इनके पिता का नाम देबेन्?द्रनाथ टैगोर और माता का नाम श्रीमती शारदा देवी था। जब वे छोटे थे तभी उनकी माँ का देहांत हो गया और चूँकि उनके पिता अक्सर यात्रा पर ही रहते थे इसलिए उनका लालन-पालन नौकरों-चाकरों द्वारा ही किया गया।

मात्र 8 साल के थे तब उन्होंने अपनी पहली कविता लिखी थी।वर्ष 1883 में उनका विवाह मृणालिनी देवी से हुआ।

उपलब्धियां:
रविंद्रनाथ टैगोर को कविता संग्रह गीतांजलि के लिए साहित्य का नोबेल पुरस्कार सन 1913 में मिला था। रबीन्द्रनाथ टैगोर अकेले ऐसे भारतीय साहित्यकार हैं जिन्हें नोबेल पुरस्कार मिला है। वह नोबेल पुरस्कार पाने वाले प्रथम एशियाई और साहित्य में नोबेल पाने वाले पहले गैर यूरोपीय भी थे। रबीन्द्रनाथ टैगोर भारत के साथ साथ बांग्ला साहित्य और संगीत को एक नई दिशा देने में भी मुख्य योगदान दिया है। 16 साल की उम्र में ?भानुसिम्हा? उपनाम से उनकी कवितायेँ प्रकाशित भी हो गयीं।

1915 में, उन्हें ब्रिटिश क्राउन द्वारा नाइटहुड प्रदान किया गया था। जलिआंवाला बाग़ कांड के बाद उन्होंने अंग्रेजों द्वारा दिए गए नाइटहुड का त्याग कर दिया था।

रबीन्द्रनाथ टैगोर पहले ऐसे व्यक्ती थे जिन्होने दो देशों का राष्ट्रगान लिखा ? भारत का राष्ट्र-गान ?जन गण मन? और बाँग्लादेश का राष्ट्रीय गान ?आमार सोनार बाँग्ला?।

अधिकतर लोग उनको एक कवि के रूप में ही जानते हैं परन्तु वास्तव में ऐसा नहीं था। कविताओं के साथ-साथ उन्होंने उपन्यास, लेख, लघु कहानियां, यात्रा-वृत्तांत, ड्रामा और हजारों गीत भी लिखे।

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