दिल्‍ली हाइकोर्ट का फैसला, ‘चूर चूर नान' व ‘अमृतसरी चूर चूर नान’ पर किसी का एकाधिकार नहीं

Sunday, May 19, 2024 | Last Update : 12:00 AM IST


दिल्‍ली हाइकोर्ट का फैसला, ‘चूर चूर नान' व ‘अमृतसरी चूर चूर नान’ पर किसी का एकाधिकार नहीं

दिल्ली हाई कोर्ट में ‘चूर चूर नान’ और ‘अमृतसरी चूर चूर नान’ शब्द को लेकर याचिका दायर की गई थी जिसके तहत याचिका कर्ता ने दावा किया था कि ‘चूर-चूर नान' भाव पर उनका विशिष्ट अधिकार है क्योंकि उन्होंने इसके लिए पंजीकरण कराया हुआ है। कोर्ट ने इस पर फैसला सुनाते हुए कहा कि चूर चूर नान’ शब्द पर किसी का एकाधिकार नहीं हो सकता है क्योंकि यह पूरी तरह से सार्वजनिक भाव है।
May 18, 2019, 2:00 pm ISTNationAazad Staff
Court
  Court

दिल्‍ली हाइकोर्ट ने भोजन से जुड़े एक व्यंजन पर फैसला सुनाते हुए कहा है कि चूर चूर नान और अमृतसरी चूर चूर नान शब्द पर किसी का एकाधिकार नहीं हो सकता है क्योंकि यह पूरी तरह से सार्वजनिक भाव है। अदालत ने कहा कि ‘चूर चूर’ शब्द का मतलब ‘चूरा किया हुआ’ और ‘चूर चूर नान’ का अर्थ है ‘चूरा किया हुआ नान’ और इससे ज्यादा कुछ नहीं है। कोर्ट ने कहा कि यह ट्रेडमार्क हस्ताक्षर लेने के लिए योग्य नहीं है।

न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने प्रवीण कुमार जैन की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्णय दिया है। बता दें कि जैन पहाड़गंज में एक भोजनालय के मालिक हैं जो नान एवं अन्य खाद्य पदार्थ बेचते हैं। जैन ने दावा किया था कि ‘चूर-चूर नान' भाव पर उनका विशिष्ट अधिकार है क्योंकि उन्होंने इसके लिए पंजीकरण कराया हुआ है। जैन ने इस भाव का इस्तेमाल करने के लिए एक अन्य भोजनालय के खिलाफ ट्रेडमार्क उल्लंघन का आरोप लगाया था और मामला दायर किया था। 

अदालत ने कहा कि यदि पंजीकरण गलत तरीके से दिए गए हैं या ऐसे सामान्य भावों के लिए आवेदन किया गया है, तो इसे अनदेखा नहीं कर सकते हैं। अदालत ने कहा कि इन शब्दों का इस्तेमाल सामान्य भाषा में बातचीत के दौरान होता है और ‘चूर चूर’ भाव के संबंध में किसी का एकाधिकार नहीं हो सकता है।

...

Featured Videos!